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| रक्षाबंधन से पहले लौटीं खुशियां, बलरामपुर पुलिस ने निभाया भाई का फर्ज |
बलरामपुर/ रक्षाबंधन से पहले बलरामपुर-रामानुजगंज में पुलिस ने ऐसा काम किया जिससे कई सूनी कलाइयों पर फिर से राखी बंधी। ऑपरेशन मुस्कान 2025 के तहत जिले के 19 गुमशुदा बच्चों को उनके घर लौटाया गया। इनमें 13 बच्चियां और 6 बालक शामिल हैं। ये बच्चे छत्तीसगढ़ के अलावा चेन्नई, महाराष्ट्र, तेलंगाना और दिल्ली जैसे दूर के राज्यों से खोजे गए। पुलिस ने भाई की भूमिका निभाते हुए इन बच्चों को सुरक्षित उनके परिवारों से मिलवाया।
1 जुलाई से 31 जुलाई तक चला यह अभियान रायपुर पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर चलाया गया। पुलिस ने पुराने गुमशुदगी के रिकॉर्ड खंगाले। थानों में दर्ज फाइलों को फिर से खोला। सीमावर्ती गांवों से लेकर शहरी झुग्गियों तक पुलिसकर्मियों ने दिन-रात मेहनत की। बच्चों की पहचान कर उन्हें उनके परिजनों को सौंपा गया। ग्राम पुरसवाडीह के एक किसान ने बताया कि उनकी बेटी तमिलनाडु में मिली। उन्होंने कहा कि जब बेटी बिना बताए घर से चली गई, तो जैसे जीवन का एक हिस्सा टूट गया। कई दिन तक कुछ समझ नहीं आया। पुलिस ने भरोसा दिलाया और निभाया भी। ऑपरेशन मुस्कान के जरिए बेटी को हजारों किलोमीटर दूर से वापस लाया गया। थाने से फोन आया तो आंखों से खुशी के आंसू बह निकले। ग्राम खजुरियाडीह के एक व्यक्ति ने बताया कि रिश्तेदार में आई एक बच्ची 1 जनवरी को अपने घर ग्राम क्योझर जाने निकली थी, लेकिन वहां नहीं पहुंची। पहले सोचा कि किसी रिश्तेदार के यहां होगी। सात दिन तक खोजबीन की, फिर चांदो थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। हर आहट पर लगता था कि शायद वो आ गई। धीरे-धीरे उम्मीद भी टूटने लगी थी। फिर पुलिस ने बताया कि बच्ची दिल्ली में मिली है और उसे लेकर लौट रहे हैं। यकीन नहीं हुआ। आज बेटी घर में है, हंसती है, बात करती है। इससे बड़ी दौलत कुछ नहीं।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर रहें सतर्क: एसपी
एसपी बलरामपुर बैंकर वैभव रमनलाल ने कहा कि ऑपरेशन मुस्कान उन बच्चों के लिए चलाया गया जो किसी कारणवश अपने घरों से बिछुड़ गए थे। इसमें महिला व बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड लाइन, थाना स्तरीय पुलिस टीमों और अन्य एजेंसियों का सहयोग रहा। बच्चों को ढूंढने में आधुनिक तकनीक, सोशल मीडिया और स्थानीय खुफिया नेटवर्क का उपयोग किया गया। उन्होंने पूरी टीम को बधाई दी और आमजन से अपील की कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें।








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